सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी

बुधवार, 15 जुलाई 2009

नजरें मिलाने के बाद

क्या हुआ उनसे नजरें मिलाने के बाद.



हमने उफ़ तक न की तीर खाने के बाद..



फिर ना ठहरे वो दिल उडाने के बाद.



उठ के बस चल दिये मुस्कुराने के बाद..




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