सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
गुरुवार, 1 मार्च 2018
नम आँखें
नम आँखों का पैगाम समझ लो, कह नहीं सकते बात समझ लो, न जाओ छोड़कर बीच राह में, भरे दिल का एहसास समझ लो,
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