मैने रोकना तो चाहा था,अपने इस दिल को लाख मगर ।
ये मुमकिन न था, कि तेरी मुस्कुराहट हो जाये बेअसर ॥
मैने रोकना तो चाहा था,अपने इस दिल को लाख मगर ।
ये मुमकिन न था, कि तेरी मुस्कुराहट हो जाये बेअसर ॥
यूं तो रोने की आदत नहीं हमको, पर ये आंसू ना जाने क्यूं छलक आये ।
दिल का प्याला गमों से भर गया शायद, और ये आन्खों से ढलक आये ॥
तुम्हारी सूरत दिल-ओ-दिमाग पर युं छा गयी है ,
जैसे दिल के आसमां पे इश्क की बद्ली आ गयी है ।