सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी

बुधवार, 15 जुलाई 2009

नजरें मिलाने के बाद

क्या हुआ उनसे नजरें मिलाने के बाद.



हमने उफ़ तक न की तीर खाने के बाद..



फिर ना ठहरे वो दिल उडाने के बाद.



उठ के बस चल दिये मुस्कुराने के बाद..




तराशना

एक पत्थर कि भी तकदीर बदल सकती है.



शर्त ये है के सलीके से तराशा जाये..




मौत


जब से सुना है मरने का नाम जिन्दगी है .


सर पर कफ़न लपेटे कातिल को ढून्ढ्ते हैं ..


रविवार, 5 जुलाई 2009

मय

कौन है जिसने मय नही पी, कौन झूठी कसम उठाता है ।

मयकदे से जो बच निकलता है , तेरी आँखों में डूब जाता है ॥

भूलने वाले

भूलने वाले को शायद याद वादा गया

मुझको देखा मुस्कुराया ख़ुद-बखुद शर्मा गया

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
अभी तलाश मे हूं कि . . . . मैं कौन हूं ? ? ?