सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
मंगलवार, 15 जुलाई 2008
हुस्न के नाम
दिल की हर धड़कन को तेरे नाम कर दूँगा, लबों से निकले हर लफ्ज़ पे अपना पैगाम रख दूँगा। तू एक बार अपने दिल मै जगह दे दे मुझको, अपनी सारी उम्र तेरे हुस्न के नाम कर दूँगा॥
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