सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
सोमवार, 2 अगस्त 2010
मुस्कुराहट
रास्ते से गुजरते गुजरते जो तुमको मुस्कुराते देखा ।
अपने जब दिख जाते हैं तो
जवाब देंहटाएंसपने जैसे लगते हैं