सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
सोमवार, 20 सितंबर 2010
गमों का प्याला
यूं तो रोने की आदत नहीं हमको, पर ये आंसू ना जाने क्यूं छलक आये ।
दिल का प्याला गमों से भर गया शायद, और ये आन्खों से ढलक आये ॥
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