सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
रविवार, 10 अक्टूबर 2010
गम
गम तेरा ले लेंगे हम, खुशियां अपनी तुझको दे जायेंगे ।
खून के घूंट पी लेंगे हम,दुनिया अपनी तुझको दे जायेंगे ।।
bahut khub Anil sahab.Aap zabardasht likhte ho.
जवाब देंहटाएंमन नही भरा दो चार पन्क्तियां की और दरकार थी…………।
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