सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
शनिवार, 31 जुलाई 2010
गुरुवार, 29 जुलाई 2010
मलाल
जब भी तेरा खयाल आता है,
मेरे खून मे उबाल स आता है ।
तुझे चाहकर भी खमोश हूं मै ,
इस बात पर मलाल आता है ॥
बुधवार, 28 जुलाई 2010
हुस्न
तेरे लाजवाब हुस्न को देखकर मेरा दिल बेगाना हो गया ।
तेरी जुल्फ़ों की वादियों मे फ़िर एक दीवाना खो गया ॥
मंगलवार, 27 जुलाई 2010
सोमवार, 26 जुलाई 2010
जुदाई
तेरी जुदाई बेकरार किये जाती है,
दर्द-ए-दिल को ज़ार ज़ार किये जाती है ।
आ जाती है सामने तस्वीर हर पल तेरी,
आखों में नमी का आगाज़ किये जाती है ॥
रविवार, 25 जुलाई 2010
यादें
यादों में तेरी खोकर, पागल सा हो गया हूं ।
तेरी निगाहों के तीर से, घायल सा हो गया हूं ॥
अब भी वक्त है ज़ालिम,संभाल ले मुझको ।
बजते बजते मै तो , टूटी पायल सा हो गया हूं ॥
शनिवार, 24 जुलाई 2010
शुक्रवार, 23 जुलाई 2010
गुरुवार, 22 जुलाई 2010
बुधवार, 21 जुलाई 2010
मंगलवार, 20 जुलाई 2010
जवानी
दिल कई धडकन जहां बेबाक हुआ करती है,
रंग मे डूबी हुइ हर रात हुआ करती है ।
नींद लगते ही ख्वाब गुलाबी आना,
ये जवानी की शुरुआत हुआ करती है ॥
सोमवार, 19 जुलाई 2010
रातें
किस्मत मे ना थी ये दो रातें,
एक प्यार की एक तन्हाई की ।
एक रात मे जीना आ जाता,
एक रात मे मरना आ जाता ॥
रविवार, 18 जुलाई 2010
शनिवार, 17 जुलाई 2010
शुक्रवार, 16 जुलाई 2010
गुरुवार, 15 जुलाई 2010
प्यार
तुम दिल से पुकारो, तो ये जमीं तुम्हारी ,ये आसमां तुम्हारा हो जायेगा।
गर इन्सान से, मोहब्बत का नाता रखो, तो ये जहां तुम्हारा हो जायेगा ॥
बुधवार, 14 जुलाई 2010
मंगलवार, 13 जुलाई 2010
सोमवार, 12 जुलाई 2010
मोहब्बत
आन्खों की कोर से छ्लकती है मोहब्बत,
तिरछी चितवन से महकती है मोहब्बत।
अब और क्या क्या बयां करें हम भी,
तू सर से पांव तक है मोहब्बत ही मोहब्बत
रविवार, 11 जुलाई 2010
शनिवार, 10 जुलाई 2010
एह्सास-ए-मोहब्बत
ये एह्सास-ए-मोहब्बत है जो तुम न समझ पाओगे ।
यूंकि समझने के लिये प्यार भरा दिल कहां से लाओगे ॥
शुक्रवार, 9 जुलाई 2010
हुस्न
हुस्न बेपर्दा हो रहा है कुछ इस तरह ।
गोया चान्द निकला बादलों से जिस तरह ॥
गुरुवार, 8 जुलाई 2010
बुधवार, 7 जुलाई 2010
मंगलवार, 6 जुलाई 2010
सोमवार, 5 जुलाई 2010
बिज़ली
होशोहवास पर मेरे बिजली सी गिर गई,
मस्ती भरी आन्खों से पिलाते चले गये ।
जो सांस आ रही है उसी का पयाम है,
बेताबियों को और बढाते चले गये ॥
मस्ती भरी आन्खों से पिलाते चले गये ।
जो सांस आ रही है उसी का पयाम है,
बेताबियों को और बढाते चले गये ॥
रविवार, 4 जुलाई 2010
शनिवार, 3 जुलाई 2010
शुक्रवार, 2 जुलाई 2010
हुस्न और नज़ाकत
खुदा जब हुस्न देता है तो नज़ाकत आ हि जाती है ।
कितना ही सम्भल के चलो कमर बल खा ही जाती है ॥
गुरुवार, 1 जुलाई 2010
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