सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
# ये काला रंग तुम्हारा फरिश्तों की ख़ता है,
जवाब देंहटाएंवो तिल बना रहे थे कि स्याही फिसल गयी.
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# गर स्याह बख्त ही होना था मुक़द्दर mein मिरे,
ज़ुल्फ़ होता तेरे रूख्सार पे या तिल होता.
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बहुत खूब.....
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