सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी

गुरुवार, 15 जुलाई 2010

प्यार

तुम दिल से पुकारो, तो ये जमीं तुम्हारी ,ये आसमां तुम्हारा हो जायेगा।

गर इन्सान से, मोहब्बत का नाता रखो, तो ये जहां तुम्हारा हो जायेगा ॥

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