सुन्दरता सामन्जस्य मे होती है. सारे मानव समाज को सुन्दर बनाने की साधना का ही नाम साहित्य है.... जो जाति जितनी ही अधिक सौन्दर्य प्रेमी है, उसमे मनुष्यता उतनी ही अधिक होती है, किसी जाति के उत्कर्ष व अपकर्ष का पता उसके साहित्य से चलता है.---डा.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी

मंगलवार, 20 जुलाई 2010

जवानी

दिल कई धडकन जहां बेबाक हुआ करती है,

रंग मे डूबी हुइ हर रात हुआ करती है । 

नींद लगते ही ख्वाब गुलाबी आना, 

ये जवानी की शुरुआत हुआ करती है ॥


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